कल हो सकता है महायुति सरकार का शपथ ग्रहण, मुख्यमंत्री और उनके संभावित डिप्टी शपथ लेंगे: रिपोर्ट

मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज करने के बाद, भाजपा-नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश करने की तैयारी कर ली है। शिवसेना (शिंदे गुट) के वरिष्ठ मंत्री दीपक केसरकर ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह कल यानी सोमवार को आयोजित होने की संभावना है। शपथ से पहले मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच कड़ी टक्कर है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शपथ ग्रहण समारोह में केवल मुख्यमंत्री और उनके संभावित डिप्टी शपथ लेंगे। कैबिनेट में शामिल अन्य मंत्रियों के नामों पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसके अलावा, सीएम पद को लेकर अंतिम फैसला गठबंधन के सहयोगियों के साथ चर्चा के बाद ही लिया जाएगा। फडणवीस ने कहा, “मुख्यमंत्री को लेकर कोई विवाद नहीं होगा। यह पहले दिन से तय है कि चुनाव के बाद तीनों दलों के नेता मिलकर फैसला करेंगे।” महायुति ने 288 में से 235 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया है। भाजपा ने 132 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है। वहीं विपक्ष ने मुख्यमंत्री पद को लेकर शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें फडणवीस के नेतृत्व में काम करना पड़ सकता है।

पुरानी खींचतान की कहानी
मुख्यमंत्री पद को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से खींचतान होती रही है। 2019 में, उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के बीच सत्ता साझा करने को लेकर मतभेद के चलते भाजपा और शिवसेना का गठबंधन टूट गया था। इसके बाद कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर उद्धव ठाकरे ने महा विकास अघाड़ी सरकार बनाई। हालांकि, 2022 में एकनाथ शिंदे ने ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया और अपने साथ कई विधायकों को लेकर भाजपा के साथ सरकार बना ली। शिंदे तब मुख्यमंत्री बने। बाद में एनसीपी के अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करते हुए शिंदे सरकार को समर्थन दिया।

“लड़की-बहन योजना” का असर
भाजपा-नेतृत्व वाली महायुति की बड़ी जीत में “लड़की-बहन योजना” जैसी कल्याणकारी योजनाओं का बड़ा योगदान माना जा रहा है। इस योजना ने महिलाओं और युवाओं के बीच पार्टी की पकड़ मजबूत की है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि मुख्यमंत्री पद किसे मिलेगा—देवेंद्र फडणवीस या एकनाथ शिंदे। गठबंधन के भीतर एकता बनाए रखना इस नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

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