दुनिया में एक्सपोर्ट के मामले में चीन पहले नंबर पर, भारत इस मामले में कई देशों से पीछे

नई दिल्ली
 भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही इकॉनमी है। माना जा रहा है कि जल्दी ही यह जर्मनी और जापान को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बडी इकॉनमी बन जाएगी। लेकिन एक्सपोर्ट के मामले में अभी अमेरिका, चीन और जर्मनी के मुकाबले भारत बहुत पीछे है। अगर जी-20 की बात करें तो इसमें शामिल देशों के टॉप एक्सपोर्ट मार्केट में भारत का नाम नहीं है। जी-20 में 19 देश शामिल हैं। इनमें भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इंडोनेशिया, रूस, साउथ कोरिया, सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, मेक्सिको, कनाडा, जापान, चीन, जर्मनी, यूके, फ्रांस, इटली, तुर्की, अमेरिका और अर्जेंटीना शामिल हैं।

जी-20 एक इंटरगवर्नमेंटल फोरम है। यह ग्लोबल इकॉनमी से जुड़े जैसे बड़े मुद्दों पर काम करता है। इसकी स्थापना 1999 में एशियन फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद हुई थी। इसके एजेंडे में व्यापार, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और एंटी-करप्शन शामिल है। अगर इन देशों के सबसे बड़े एक्सपोर्ट मार्केट को देखें तो चीन और अमेरिका 7-7 के साथ टाई पर हैं। तीन देशों का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट जर्मनी है जबकि एक देश सबसे ज्यादा निर्यात ब्राजील को करता है। अमेरिका का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट कनाडा है।

टॉप एक्सपोर्ट मार्केट

The Observatory of Economic Compexity के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इंडोनेशिया, रूस, साउथ कोरिया, सऊदी अरब और साउथ अफ्रीका के लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट चीन है। मेक्सिको, कनाडा, जापान, भारत, चीन, जर्मनी और यूके के लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट अमेरिका है। यानी ये देश अमेरिका को सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट करते हैं। फ्रांस, इटली और तुर्की के लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट जर्मनी है। इसी तरह अमेरिका सबसे ज्यादा माल कनाडा को एक्सपोर्ट करता है। अर्जेंटीना के लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट ब्राजील है।

दुनिया में एक्सपोर्ट के मामले में चीन पहले, अमेरिका दूसरे और जर्मनी तीसरे नंबर पर है। साल 2023 की लिस्ट के मुताबिक इस लिस्ट में नीदरलैंड्स, जापान, इटली, फ्रांस, साउथ कोरिया, मेक्सिको, हॉन्ग कॉन्ग, कनाडा, बेल्जियम, यूके, यूएई, सिंगापुर और ताइवान के बाद भारत का नंबर है। चीन ने पिछले साल 3,380.02 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया जबकि भारत का एक्सपोर्ट महज 432.34 अरब डॉलर का रहा।

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