काबुल
भारत और अफगानिस्तान में राज कर रहे तालिबान के बीच दोस्ती नई ऊंचाई पर पहुंचने जा रही है। यही नहीं भारत और तालबिान सरकार के बीच रणनीतिक सहयोग भी बढ़ने जा रहा है जो पहले संभव नहीं था। दोनों के बीच गर्मजोशी के संकेत के तहत अफगान तालिबान ने नई दिल्ली में राजदूत बनाए जाने के लिए कई नामों का सुझाव दिया है। अफगान मीडिया के मुताबिक इसमें नजीब शाहीन भी शामिल हैं जो मुहम्मद सुहैल शाहीन के बेटे हैं। यह वही सुहैल शाहीन हैं जो कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता हैं। दोहा स्थित तालिबानी कार्यालय ने ही अमेरिका के साथ डील के लिए बातचीत की थी।
द संडे गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक नजीब का नाम सामने आना यह दिखाता है कि अफगानिस्तान सरकार भारत को कितना ज्यादा महत्व दे रही है। अब तालिबानी सरकार चाहती है कि भारत सरकार तेजी से और मजबूती के साथ अफगानिस्तान से राजनयिक रिश्ते बढ़ाए। तालिबानी सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि यह इस तरह के रिश्ते बनाने के लिए सबसे अच्छा समय है क्योंकि अफगानिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते से भारत यहां पर आधारभूत ढांचे को विकसित कर सकेगा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत को अफगानिस्तान का समर्थन मिल सकेगा।
‘भारत साथ दे तो पाकिस्तान की छुट्टी’
अफगान अधिकारी ने कहा कि भारत के लिए यह रणनीति इसलिए कारगर है क्योंकि इससे पूरे इलाके में पाकिस्तान की भूमिका खत्म हो जाएगी। भारत को अफगानिस्तान को पाकिस्तान पर से व्यापार और अन्य जरूरी चीजों के लिए निर्भरता को कम करने में मदद करनी चाहिए। पाकिस्तान का डीप स्टेट बहुत लंबे समय से अफगानिस्तान का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहा है। साथ ही पाकिस्तान अपनी सेना और एजेंटों के माध्यम से अफगानिस्तान के कूटनीतिक संबंधों को निर्देशित करता रहा है। तालिबान और पाकिस्तान के बीच इन दिनों तनाव अपने चरम पर है। दोनों की सेनाओं में लड़ाई भी हो चुकी है।
अफगान अधिकारी ने उम्मीद जताई कि जिस तरह से भारत अफगानिस्तान में हेल्थकेयर सेक्टर में काम कर रहा है, उससे अफगान जनता की अन्य पड़ोसी देशों पर से निर्भरता कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे अफगान जनता और अधिकारियों में भारत के प्रति गुडविल बढ़ेगा। अफगानिस्तान में 1000 लोगों पर मात्र 0.33 ही डॉक्टर हैं जो कम से कम 2.5 डॉक्टर होना चाहिए। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से बहुत कम है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अफगानिस्तान में 134 ही हॉस्पिटल हैं। अफगान अधिकारी ने कहा कि जब अमेरिकी सेना वापस लौटी थी तब कहा गया था कि अफगानिस्तान पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर का गढ़ बन जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।